तिब्बे इमामे सादिक़ अलैहिस्सलाम
- अपनी सेहत की हिफ़ाज़त के लिये जो कुछ भी ख़र्च किया जाये वह इसराफ़ में नहीं आता क्योंकि इसराफ़ उस सूरत में होता कि जब पैसा इन्सानी नफ़्स को तकलीफ़ देने के लिये ख़र्च किया जाये।
- क़ल्बे मोमिन के लिये ज़्यादा ग़िज़ा से कोई चीज़ ज़्यादा ज़रर पहुंचाने वाली नहीं है। इस सबब से कि ज़्यादा ग़िज़ा से दो नुक़सान होते हैं एक क़सावते क़ल्ब दूसरे बेजा शहवत।
- मिसवाक में बारह ख़सलतें हैं, मुँह को पाक करती है, आँखों को जिला देती है, ख़ुदा की ख़ुशनूदी का सबब है, दाँतों को सफ़ेद करती है, दाँतों के मैल को दूर करती है, दाढ़ों को मज़बूत करती है, भख बढ़ाती है, बलग़म दूर करती है, नेकियों को दो बराबर करती है, मलाएका ख़ुश होते हैं और मुसतहिब है।
- आप अ0 ने फ़रमाया कि जनाबे नूह ने ख़ुदा से ग़मो अन्दोह की शिकायत की, वही आईः सियाह अंगूर खाओ कि ग़म को दूर करता है।
बीमारियों के सिलसिले में जनाबे जाबिर ने इमाम जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम से सवाल कियाः
- जनाबे जाबिरः बीमारी के बारे में आपका नज़रिया क्या है? आया बीमारी को ख़ुदा इन्सान पर नाज़िल करता है या वह इत्तेफ़ाक़िया तौर पर बीमार होता है?
- इमामे सादिक़ अलैहिस्सलाम ः बीमारी की तीन क़िस्में हैंः-
ख़ुदा की मशीयत से पैदा होती हैं जिनमें से एक बुढ़ापा है कि किसी शख़्स को उससे छुटकारा नहीं, उसमें हर शख़्स मुब्तिला होता है।
जिन में जिहालत या हिर्स व हवस की वजह से इन्सान खुद अपने को मुब्तिला कर लेता है। अगर इन्सान खाने पीने में इसराफ़ न करे और चन्द लुक़्मे कम खाये और चन्द घूट कम पिये तो बीमारी से दो चार न होगा।
जो बदन के दुश्मनों से पैदा होती हैं, वह इन्सान के जिस्म पर हमला करते है और जिस्म अपने अन्दर मौजूद वसाएल ( )के ज़रिये उनका मुक़ाबला करता है।
- जनाबे जाबिरः बदन के दुश्मन कौन हैं?
- इमामे सादिक़ अलैहिस्सलामः बदन के दुश्मन कुछ ऐसे बारीक और छोटे-छोटे मौजूदात (जरासीम) होते हैं जो आँख से नज़र नहीं आते हैं और वही बदन पर हमलावर होते हैं और बदन के अन्दर भी बारीक मख़लूक़ात होते हैं जो नज़र नहीं आते वह दुश्मनों से जिस्म की हिफ़ाज़त करते हैं।
तिब्बे मासूमीन अलैहिस्सलाम
- बुख़ारः- सेब खाओ कि बदन की हरारत को आराम पहुुँचाता है। अन्दरूनी गर्मी को ठन्डा करता है और बुखार को खत्म करता है। (इमाम सादिक़ अ0)
- अगर लोग सेब के फ़ायदे को जानते तो अपने मरीज़ों का इलाज हमेशा सेब से करते। (इमाम सादिक़ अ0)
- मोहम्मद बिन मुस्लिम ने नक़्ल किया है कि जब भी इमाम मोहम्मद बाक़िर अ0 को बुख़ार होता था तो इमाम सादिक़ अ0 दो कपड़ों को भिगोते थे एक को बदन पर रखते थे और ज बवह खुश्क हो जाता था तो बदल देते थे। (इमाम सादिक़ अ0)
- बुख़ार ख़त्म करने के लिये ठन्डा पानी और दुआ के मानिन्द कोई चीज़ नहीं है। (इमाम सादिक़ अ0)
- बारिश के पानी को पियो कि बदन को पाकीज़ा और दर्दों का इलाज करता है, जैसा कि परवरदिगार सूर-ए-इन्फाल आयत 11 में फ़रमाता है ‘‘और तुम पर आसमान से पानी बरसा रहा था ताकि उससे तुम्हें पाक व पाकीज़ा कर दे और तुम से शैतान की गन्दगी दफ़ा करे और तुम्हारे दिल मज़बूत कर दे’’। (इमाम मूसा काज़िम अ0)
- प्याज़ खाओ कि बुख़ार को ख़त्म करती है। (इमाम सादिक़ अ0)
- एक सहाबी को अर्से से बुख़ार था इमाम सादिक़ अ0 ने फ़रमाया मुँह को कुर्ते में दाखि़ल करके अज़ान और इक़ामत कहो फ़िर सात मरतबा सूर-ए-हम्द पढ़ो, सहाबी कहता है कि मैंने ऐसा किया तो शिफा हासिल हुई।
- गर्मियों में साहिबे बुख़ार पर ठन्डा पानी डालो, बुख़ार को सुकून अता करता है। (इमाम सादिक़ अ0)
- हमाद बिन उसमान ने इमाम सादिक़ अ0 की खि़दमत में बुख़ार की शिकायत की, आपने फ़रमाया ‘‘एक बरतन में आयतलकुर्सी लिखकर उसमें कुछ पानी डालकर पियो।’’
- शहद को कलौंजी के साथ मिला कर तीन दफ़ा उंगली से चाट लो बुखार में आराम मिलेगा। (इमाम मूसा काज़िम अ0)
- बुखार के मर्ज़ में गुले बनफ़शा को ठण्डे पानी में मिलाकर उस शरबत को पियें आराम मिलेगा। (इमाम अली अ0)
- हमारा ज़िक्र तेज़ बुख़ार, शक व वसवसों में शिफ़ा देता है। (इमाम अली अ0)
- किरमे मेदा (पेट के कीड़े) ः अंगूर का सिरका पियो कि पेट के कीड़ों को मारता है। (इमाम अली अ0)
- सोते वक़्त सात दाने ख़ुरमा खाओ कि पेट के कीड़े मर जाते हैं। (इमाम सादिक़ अ0)
- दर्दे पहलूः उबैद बिन सालेह कहता है कि इमाम सादिक़ अ0 से दर्दे पहलू की शिकायत की। आप अ0 ने फ़रमाया दस्तरख़्वान पर बची हुई और गिरी हुई ग़िज़ा को खाओ, कहता है ऐसा किया और पहलू का दर्द ठीक हो गया।
- दर्दे शिकमः इमाम सादिक़ अ0 ने फ़रमाया एक शख़्स जनाबे अमीरूल मोमेनीन की खि़दमत में आया और दर्दे शिकम की शिकायत की। इमाम अ0 ने पूछा ज़ौजा है? उसने कहा हाँ, आप अ0 ने फ़रमाया ज़ौजा से कुछ रूपिया ब-उनवाने हदिया हासिल कर, उससे शहद ख़रीद और उसमें बारिश का पानी मिलाकर पियो कि परवरदिगार फ़रमाता हैः
- 1. और हमने आसमान से नाज़िल किया मुबारक पानी (सूर-ए-काफ़ आयत 10)
- 2. उन मक्खियों के पेट से पीने की एक चीज़ निकलती है (शहद) जिसके मुख़तलिफ़ रंग होते हैं लोगों (की बीमारी) के लिये शिफ़ा है।
- (सूर-ए-नहल आयत 69)
- 3. फ़िर अगर वह (ज़ौजा) अपनी मर्ज़ी से तुम्हें कुछ (दे) तो खाओ बेहतर और मुफ़ीद है सूर-ए-निसा, आयत 4।
- चावल को धो कर साये में सुखाओ फिर भून कर अच्छी तरह कूट लो और रोज़ाना सुबह को एक मुट्ठी खा लिया करो, दर्दे शिकम में मुफ़ीद है। (इमाम सादिक़ अ0)
- सेब खाओ मेदे को पाक करता है। (इमाम अली अ0)
- अमरूद मेदे को साफ़, क़ल्ब में जिला और दर्द में सुकून पैदा करता है। (इमाम सादिक़ अ0)
- अमरूद खाना दिल को जिला देता है और अन्दरूनी दर्दों को ख़त्म करता है। (इमाम अली अ0)
दफ़ा-ए-बलग़म, रूतूबत और ज़ियादती अक्ल
- मिसवाक करना, क़ुरआन पढ़ना बलग़म को निकालता है। (इमाम सादिक़ अ0)
- क़ुरआन पढ़ना, मिसवाक करना और कुन्दुर खाना बलग़म में फ़ायदा करता है। (अमीरूल मोमेनीन अ0)
- मुनक़्क़ा सफ़रा को दुरूस्त करता है, बलग़म को दूर करता है, पुटठों को मज़बूत करता है और नफ़्स को पाकीज़ा करता है और रंज व ग़म को दूर करता है।
- सिरका ज़ेहन को तेज़ करता है और अक़्ल को ज़्यादा करता है। (हज़रत अली अ0)
- सिरका क़ल्ब को ज़िन्दा करता है। (इमाम सादिक़ अ0)
- प्याज़ दहन (मुँह) की बदबू दूर करती है, बलग़म कम करके सुस्ती व थकन को मिटाती है, मुबाशरत की कुव्वत में इज़ाफ़ा करती है, नस्ल को बढ़ाती है, बुख़ार को ख़त्म करती है और बदन ख़ुशरंग हो जाता है। (इमाम सादिक़ अ0)
- मूली में तीन ख़ासियतें हैंः पत्ता ज़हरीली हवा को बदन से निकालता है, रेशा बलग़म को दूर करता है और तुख़्म हाज़िम है। (इमाम सादिक़ अ0)
- क़ुरआन पढ़ने से, शहद खाने से, और दूध पीने से हाफ़िज़ा बढ़ता है। (इमाम रेज़ा अ0)
- कंघा करना दाफ़े बलग़म है। (इमाम मो0 बाक़िर अ0)
- मूली खाने से गैस ख़ारिज होती है, पेशाब खुल कर होता है और बलग़म साफ़ होता है। (इमाम सादिक़ अ0)
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Mujhe diabetes ka ilaj chahiye tib e aimma se wo
ReplyDeletebhi fruits me Na ho
Mujhe diabetes ka ilaj chahiye tib e aimma se wo
ReplyDeletebhi fruits me Na ho
1 mushroom ka istemal hafte me do se teen kare.
Delete2. Khajur ki gutiya(seed) pis kar rozana ek chamach le
Is se agar diabetes hogi to InshaAllah khtam ho jaegi
Masha Allah
ReplyDeleteTibb a masoomeen pdf in hindi kisi ke pass ho ya kahi se milengi uska link mil jaye toh bohat Ahsan honga
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