Friday, July 29, 2011

Tibbe Imam Raza (Reza) (Riza) a.s. hindi (Tibbe masoomeen) Sehat k liye haider alam

तिब्बे इमामे रिज़ा अलैहिस्सलाम

इमामे रिज़ा अलैहिस्सलाम ने तूस में क़याम (सन 201 हि0 से सन 203 हि0) के दौरान मामून रशीद की फ़रमाइश पर इंसानी जिस्म और उसमें होने वाले अमराज़ के सिलसिले में तफ़सील से एक रिसाला तहरीर फ़रमाया जिसमें आप अ0 ने खाना खाने के आदाब, पूरे साल के हर मााह की आब व हवा के असरात और उस माह में किन चीज़ों का इस्तेमाल मुफ़ीद है, जिस्म को सेहतमन्द रहने के लिये किन बातों रियायत ज़रूरी है और सफ़र में क्या करना चाहिये तहरीर फ़रमाया जिसमें से कुछ ज़रूरी बातें यह हैं।

दस्तूरे इमामे रिज़ा अलैहिस्सलाम उन ग़िज़ाओं के बारे में जिनको एक साथ नहीं खाना चाहिये
  1. अण्डा और मछली कि अगर एक साथ मेदे में जमा हों तो मुम्किन है कि बीमारी नुक़रस, कौलन्ज, बवासीर पैदा करें और दांतों में दर्द हो।
  2. दूध और दही कि बीमारी नुक़रस और बरस पैदा करते हैं।
  3. मुसल्सल प्याज़ खाना कि चेहरे पर धब्बों का सबब है।
  4. ज़्यादा कलेजी, दिल, जिगर खाना कि गुर्दे की बीमारी का सबब होता है।
  5. मछली खाने के बाद ठण्डे पानी से (जिस्म) धोना कि फ़ालिज या सकता का सबब हो सकता है।
  6. ज़्यादा अण्डा खाने से साँस लेने में तकलीफ़ और मेदा में गैस का सबब होता है।
  7. आधा पका गोश्त खाना कि पेट में कीड़े का सबब होता है।
  8. गरम और मीठी ग़िज़ा खाने के बाद पानी पीना दाँत ख़राब होने का सबब होता है।
  9. ज़्यादा शिकार का गोश्त और गाय का गोश्त खाने से अक़्ल ख़राब और हाफ़िज़ा कमज़ोर होता है।
दस्तूराते उमूमी इमामे रिज़ा अलैहिस्सलाम बराये सेहत
  • इमामे रिज़ा अलैहिस्सलाम ने बलग़म के इलाज के लिये फ़रमाया 10 ग्राम हलीला ज़र्द, 20 ग्राम ख़रदिल और 10 ग्राम आक़िर करहा को पीस कर मन्जन करो, इन्शाअल्लाह बलग़म को निकालता है मुँह को ख़ुशबूदार और दाँतों को मज़बूत करता है।
  • हर जुमे को बेरी के पत्तों से सर धोना बर्स और पागलपन से महफ़ूज़ रखता है।
  • रौग़ने ज़ैतून और आबे कासनी नफ़्स को पाक करती है, बलग़म को दूर करती है और ‘ाब-बेदारी की तौफ़ीक़ होती है।
  • ज़ैतून का तेल बड़ी अच्छी ग़िज़ा है मुंह को ख़ुशबूदार बनाता है बलग़म को दूर करता है चेहरे को सफ़ाई और ताज़गी बख़्श्ता है, आसाब को तक़वीयत देता है, बीमारी और ददै को दूर करता है और ग़ुस्से की आग को बुझाता है।
  • खाने के बाद सीधे लेट जाओ और दाहिना पाँव बायें पाँव पर रख लो।
  • जो चाहता है कि दर्द मसाना (गुर्दा) न हो उसे चाहिये कि कभी पेशाब न रोके अगर चे सवारी पर हो।
  • जो चाहता है कि मेदा सही रहे वह खाने के दरमियान पानी न पिये बल्कि खाने के बाद पानी पिये। खाने के दरमियान पानी पीने से मेदा कमज़ोर हो जाता है।
  • जो चाहता है कि हाफ़िज़ा ज़्यादा हो उसे चाहिये कि सात दाना किशमिश सुबह के वक़्त खाये।
  • जो चाहता है कि कानों में दर्द न हो चाहिये कि सोते वक़्त कानों में रूई रख ले।
  • जो चाहताा है कि उसे जाड़ों में ज़ुकाम न हो उसे चाहिये कि हर रोज़ तीन लुक़मा ‘ाहद जिसमें मोम मिला हो खाये।
  • जो चाहता है कि गर्मियों में जु़काम से महफ़ूज़ रहे उसे चाहिये कि हर रोज़ एक खीरा खाये और धूप में बैठने से परहेज़ करे।
  • जो चाहता है कि तन्दरूस्त रहे और बदन हल्का और गोश्त (मोटापा) कम हो उसे चाहिये कि रात की ग़िज़ा कम खाये।
  • जो चाहता है कि नाफ़ दर्द न करे उसे चाहिये कि जब सर पर तेल लगाये तो नाफ़ पर भी तेल लगाये।
  • जो चाहता है कि गले में कव्वा न बढ़े उसे चाहिये कि मीठी चीज़ खाने के बाद सिरके से ग़रारा करे।
  • जो चाहता है कि जिगर की तकलीफ़ से महफ़ूज़ रहे वह ‘ाहद का मुस्तक़िल इस्तेमाल करे।
  • जो तूले (लंबी) उम्र चाहता है उसको लाज़िम है कि सुब्ह के वक़्त कुछ खाया करे।
  • जो चाहता है कि क़ब्ज़ न हो वह नहार मुँह एक प्याली गरम पानी में एक चम्चा ‘ाहद घोल कर पिये।
  • जो चाहता है कि उसके बदन में गैस न बरे उसे चाहिये कि हफ़्ते में एक बार लहसुन खाये।
  • जो चाहता है कि उसके दाँत ख़राब न हों उसे चाहिये कि कोई मीठी चीज न खाये। मगर यह कि उसके बाद एक लुक़्मा रोटी खा ले।
  • जो चाहता है कि ग़िज़ा ख़ूब हज़म हो उसे चाहिये कि सोने से पहले दाहनी करवट लेटे फिर बायीं करवट लेटे।
  • जो चाहता है कि बीमार न हो वह खाने और पीने में एतेदाल से काम ले।
  • दाँतों की हिफ़ाज़त के लिये ठण्डी और गर्म चीज़ें खाने से परहेज़ करना चाहिये और बहुत ज़्यादा गर्म और सख़्त चीज़ों को दाँतों से नहीं तोड़ना चाहिये।
  • मसूर की दाल दिल को नर्म करती है।
  • गेहूँ की रोटी पर जौ की रोटी को ऐसी फ़ज़ीलत है जैसी हम अहलेबैत को तमाम आदमियों पर और हर पैग़म्बर ने दुआ की जौ की रोटी खाने वालों के लिये।
  • अपने बीमारों को चुक़न्दर के पत्ते खिलाओ कि उनमें शिफ़ा ही शिफ़ा है।
  • ‘ाहद सत्तर क़िस्म की बीमारियों को दूर करता है। सफ़रा को घटाता है, प्यास की ज़्यादती को दूर करता है और मेदे को साफ़ करता है।
  • अगर लोग कम खायें तो बदन सेहतमन्द रहेंगे।
  • गाजर कोलिज (आतों के दर्द) और बवासीर से महफ़ूज़ रखती है और मरदाना क़ुव्वत में इज़ाफ़़ा करती है।

1 comment:

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